रविवार, 17 जून 2012

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !


चलो जो हुआ अच्छा हुआ !
अच्छा हुआ जो गम मिला
ख़ुशी का महत्व तो पता चला
लोगों का अपनत्व तो पता चला
कहाँ हूँ मैं, पानी का स्तर तो पता चला |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !

अच्छा हुआ जो दुःख आया
बुराई सहने की ताकत तो साथ लाया
अपने और पराये की पहचान तो कर पाया
अब तस्सव्वुर का अक्स तो साफ़ नज़र आया |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !

अच्छा हुआ जो कुछ समय के लिए अंधकार आया
प्रकाश का मोल तो समझ में आया
दूध में पानी का घोल तो समझ में आया
जीवन है अनमोल, यह तो समझ में आया
कुछ नहीं है मेरे हाथ में, यह तो टटोल पाया |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !

अच्छा हुआ जो मैं रो पाया
आँख का मैल तो धो पाया
मेरी गलतियाँ है कहाँ-कहाँ यह तो देख पाया |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !

अच्छा हुआ जो बेकरारी मिली
आँखे बहुत देर बाद जाकर खुली
लगता है जैसे राहत की सांस मिली
इसी बहाने किसी की यारी तो
किसी की गद्दारी तो मिली |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !
 

~"नीरज"~

2 टिप्‍पणियां:

  1. नीरज जी पहली बार आपके ब्‍लाग पर आना हुआ । काफी अच्‍छी रचनाओ से ब्‍लाग को सवारा है आपने

    आपके ब्‍लाग को ज्‍वाईन कर लिया है आप भी करे तो खुशी होगी

    यूनिक तकनकी ब्‍लाग

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    1. बहुत शुक्रिया विनोद जी ...... मैं भी आपका ब्लॉग ज्वाइन करूँगा .

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