शनिवार, 30 जून 2012



कागज़ और कलम थाम तो लिए है 
देखो महफ़िल कहाँ तक चलती है ।

तस्सव्वुर के बादबाँ बाँध तो लिए है 
देखो मंजिल कहाँ पर मिलती है ।

~"नीरज"~

शनिवार, 23 जून 2012

कोई तो होता जिस पर  . . . . .


कोई तो होता जिसपर  दिल की किताब लिखते 
दीबाचे में तेरा ही सिर्फ तेरा नाम लिखते 
कोई तो होता जिस पर 


पहले ही हर्फ़ में अपने मोहब्बत का बयां लिखते 
जो कलम चलती आगे तो तेरा जिक्र-ए - जमाल लिखते .
कोई तो होता जिस पर 


अगली ही तहरीर में तेरी वो शगुफ्ता  सी तस्वीर खुलेआम लिखते 
बाते जो होती थी जुम्मेरात को, उन्हें हम इनाम लिखते
कोई तो होता जिस पर


तेरे रुखसारो पर उठे फिकरों का भी हम राज लिखते 
जो कोई होता तो वो तमाम कैफियत हम आज लिखते
कोई तो होता जिस पर


जो बातें कुछ और होती वो तेरा शर्मा के सिमट जाना 
वो तेरा इतरा के रूठ जाना भी लिखते 
कोई तो होता जिस पर


वो तेरी जुल्फों पर बनी गज़लों का हम अर्ज लिखते 
जो हिम्मत और बाकी होती तो पिछले स्याह पन्नो पे तेरा हिज्र लिखते
कोई तो होता जिस पर

आखिर में जो हमारा तखल्लुस पूछा जाता तो 
बस "आशिक गुमनाम" लिखते
कोई तो होता जिस पर



~"नीरज"~


बुधवार, 20 जून 2012

 "सालगिरह मुबारक"


~हमारे अज़ीज़ मित्र दीपक आचार्य "गाफिल " के जन्मदिन पर उनको समर्पित  चंद अल्फाज़ ~


 



दीपक को सालगिरह मुबारक हो, साल के हर आज और कल मुबारक हो ,
हर शब् तेरी शुकून से गुजरे, हर सहर में तुझे सफलताओ का अम्बार मिले,
हर इन्सान हबीब मिले न तेरा कोई रकीब बने !
नए साल की नयी आगाज़ मुबारक हो, बुलन्दियो की हर परवाज़ मुबारक हो |
फलक तक तुम चलो, आसमा की सीढ़ी चढो ,
दुनिया की हर रहगुजर के राहबर बनो,
ता उम्र तालिब-ए-इल्म रहो, आलिम-फ़ाज़िल बनो ,
दिल तुम्हारा महल हो , दुखो से खुशियों का वसल बनो ,
सिराज (दीपक) तुम हो तो  हर महफ़िल को रोशन करो |
एक उम्दा इंतेखाब तुम बनो, लफ्जों का लुघत आगोश में भरो ,
हर मुबर्ज़त को सेहन करो |
हमारी इत्तिहाद (दोस्ती) पर नाज़ हो , सारी  कायनात पे तेरा राज़ हो ,

मुसीबत न कभी तुझसे मिले, न तू कभी उदास हो,
इस गुल-ए-रुख को सदा रोशन रखना ,
न जुल्मत मिले न गर्दिश से तेरा वास्ता हो ,
तेरी चश्म (आँखों) में सदा महताब मिले |
न मेरे पास हर्फ़ (शब्द) के समंदर है न अल्फाज़ मिल रहे है ,
लखत-ए-जिगर तुम मेरे यार हो ,
क्या तेरी तारीफ़ करू -" मेरे उम्दा राजदां सुखनवर हबीब जितना मयस्सर हो , तुझे सद-रंग आशना मिले |"
            "आमीन"



~"नीरज "~

रविवार, 17 जून 2012

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !


चलो जो हुआ अच्छा हुआ !
अच्छा हुआ जो गम मिला
ख़ुशी का महत्व तो पता चला
लोगों का अपनत्व तो पता चला
कहाँ हूँ मैं, पानी का स्तर तो पता चला |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !

अच्छा हुआ जो दुःख आया
बुराई सहने की ताकत तो साथ लाया
अपने और पराये की पहचान तो कर पाया
अब तस्सव्वुर का अक्स तो साफ़ नज़र आया |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !

अच्छा हुआ जो कुछ समय के लिए अंधकार आया
प्रकाश का मोल तो समझ में आया
दूध में पानी का घोल तो समझ में आया
जीवन है अनमोल, यह तो समझ में आया
कुछ नहीं है मेरे हाथ में, यह तो टटोल पाया |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !

अच्छा हुआ जो मैं रो पाया
आँख का मैल तो धो पाया
मेरी गलतियाँ है कहाँ-कहाँ यह तो देख पाया |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !

अच्छा हुआ जो बेकरारी मिली
आँखे बहुत देर बाद जाकर खुली
लगता है जैसे राहत की सांस मिली
इसी बहाने किसी की यारी तो
किसी की गद्दारी तो मिली |

चलो जो हुआ अच्छा हुआ !
 

~"नीरज"~

रविवार, 10 जून 2012

मेरे कॉलेज मित्रों को समर्पित एक पोस्ट


यादों की पोटली समेत रहा था ,
सोचा आप को भी अतीत की खुशबू से महकाता चलूँ |

बीत गए साल वो रंगीन
अब शुरुआत हुई है जिन्दगी की संगीन |

बरसों से बुने सपनों को यथार्थ के धरातल पर

 उतारने का समय आ गया |
ऐ दोस्त , अब तेरे और मेरे बिछड़ने का समय आ गया |

मंजिल की भाग - दौड़ में मशरूफ जरुर हो जाना पर मगरूर नहीं ,

कामयाबी के सफ़र में मशहूर हो जाना पर मजबूर नहीं |

जो कभी याद मेरी आये ,

चले आना ख्वाबों  के अंजुमन में
यादो के शिकारे पर बैठ कर ,
दुःख को सुख में घोलकर पियेंगे ,
जिन्दगी के वो बीते पल फिर दिल खोलकर जियेंगे |

~"नीरज"~

और कुछ भी नहीं ....


जिन्दगी नाम है चलती साँसों का
                                     और कुछ भी नहीं .....!
खुशियाँ नाम है मन में मचलती उमंगो का
                                     और कुछ भी नहीं .....!
जिन्दादिली नाम है दिल को ख़ुशी से मिलाने का
                                     और कुछ भी नहीं .....!
आशा नाम है दूर चमकती एक 
रोशनी का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
मंजिल नाम है कांटो पर चलकर लक्ष्य पाने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
यादें नाम है दिल में गहरे उतरे अहसासों का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
आकाश नाम है उमंगो को हदों में बाँध लेने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
दिशा नाम है भूले भटके को रास्ता दिखने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
निशा नाम है थक हार कर कुछ पल सुस्ताने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
ज़मीन  नाम है उछलते
गुरुर को सबक सिखाने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
पानी नाम है हर रंग-ओ-रूप में बदल जाने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
रिश्ते नाम है झूठी उम्मीदों के सहारे जीने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
सपने नाम है हकीकत से कोसों दूर चले जाने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!
मज़बूरी नाम है आकांक्षाओ को जिन्दा दफ़नाने का
                                      और कुछ भी नहीं .....!

~"नीरज"~

गुरुवार, 7 जून 2012


माताजी के जन्म दिवस  पर उन्ही को समर्पित एक पोस्ट



 
मेरी दुनिया मेरा जहा है माँ
मेरी खुशियों का निशां है माँ

मेरे ख्यालो की तरन्नुम है माँ
मेरे होठो की तबस्सुम है माँ

एक सुकून भरा तस्सव्वुर है माँ
शुभकामनाओ का दस्तूर है माँ

माँ तेरे क़दमों में जन्नत बसती है
रहमत बरसती है माँ जब तू हंसती है
माँ तेरी हस्ती में कुछ तो खास है
सीस नवाती तेरे चरणों में कायनात है
मैं क्या लिखूं और मेरी क्या औकात है  |
 
~"नीरज " ~
 

मंगलवार, 5 जून 2012

जनाब आमिर खान साहिब " सत्यमेव जयते "



जैसा की आप सभी वाकिफ है आमिर खान साहिब ने इक मुहीम की शुरुआत की है "भारत बदलने की "
देखने में यह उंट के मुंह में जीरा प्रतीत होता है परन्तु कहा जाता है कोशिशे अक्सर कामयाब होती है |इंशाल्लाह  "" खान साहिब "  आपकी कोशिशो में मौला जान बक्शे |
                                  समय समय पर भारत में प्रबुद्धजनो  द्वारा ऐसे कोशिशे अजमाइश होती रही है परन्तु फिर भी रोगों को जड़ मूल से
मिटाने में नाकामयाब रहे और जब तक जड़ो का खात्मा नहीं होगा उनकी शाखाये पुन: पनप जाएँगी |
आमिर खान साहिब 100  मिनट के कार्यक्रम में बहुत से प्रयास करते है भिन्न भिन्न प्रकार की कुरीतियों को मिटाने के लिए |
आपके विचार में :
* क्या आमिर खान अपनी मुहीम को अंजाम तक पहुंचा पाएंगे ?
* क्या भारत में मात्र 13 मुद्दों पर चर्चा करना ही काफी है ?
* क्या आमिर खान की समझाइश भारत के नागरिको पर काम करेगी ?
* क्या आमिर खान भारत को सामाजिक कुरीतियों से मुक्त कर पायेंगे ?

आपके वोट के इन्तेजार में .. कुछ दिलसे | आप एक से अधिक मत भी दे सकते है |


दायीं ओर दिए गए poll  में अपना मत दे 

रविवार, 3 जून 2012

यादें ...


अजीब सा राबता है यादों का इंसान से, जन्म से मरण तक यादें साथ चलती है और फिर यादे अमर हो जाती है | हर गुज़रा लम्हा एक याद है | यादें कुछ मीठी कुछ खट्टी कुछ कोमल कुछ कठोर | पर यादों की खुशबू बहुत मनमोहक होती है | कुछ पल के लिए इंसान को सबकुछ भुलाकर उसके माज़ी (past) से मिला देती है | वर्तमान की सूदबुद खो बैठता है इंसान | यादें जो गुज़रे लम्हे में पैदा होती है और वक़्त के साथ उम्रदराज़ होती जाती है | और धीरे धीरे यादों की छवि स्मृति में धुंधली होती जाती है | पर कुछ यादें चटख रंग की तरह हर दिन हर पल इन्सान की दिमाग में ताज़ा रहती है जो अपने आगमन के साथ एक ख़ुशी , एक चमक, एक लालिमा बिखेर देती है  इन्सान के चहरे पर उसके मानस पटल पर |
                  इंसान वक़्त के पीछे चलता है और इंसान के पीछे यादें | यादें ही है जो इंसान का साथ कभी नहीं छोडती |  देर - सवेर, भीड़ में , तन्हाई में , आ ही जाती है | और इंसान खो जाता है उन अतीत के लम्हों में एक बार फिर उन्हें जीने की कोशिश  में लग जाता  है | हालाँकि आज के भाग - दौड़ वाली सभ्यता में याद जैसी चीज़ के लिए समय नहीं है और ना ही दिमाग में इतनी जगह के उसे संजोया जा सके पर याद का नाता इंसान से कभी नहीं छुट सकता | वह कभी ना कभी किसी ना किसी तरह इंसान के ज़ेहन में अपनी दस्तक दे ही देती है |
                           वक़्त बीत जाने पर बस याद ही रह जाती है जैसे आग के जलने पर राख रह जाती है | आप भी याद कीजिये कोई मीठी सी याद, ऊपर लिखे लफ्जों के म'आनी (meaning) मिल जाएंगे आपको |

                                              ~"नीरज"~  

शनिवार, 2 जून 2012

जिन्दगी की रेल 


अरमान नगर से चलकर हकीकत शहर को जाने
वाली इस पसेंज़र ने 

जीवन के मानव रही फाटक पर बहुत से
ख्वाबो को कुचला है 

जब भी यह गाडी आकांक्षाओ के विपरीत दिशा में चली है
बहुत से सपनो की मौत हुई है और 
बहुत से अरमान घायल हुए है

यथार्थ के धरातल पर जब यह ट्रेन रुकी है तो संभावनाए,
अपेक्षाओ उतरी और वास्तविकता ने गाडी में कदम रखे |

~"नीरज"~