मुस्कान :)
मन में पैदा हुई
होठो पर पली - बढ़ी और
दिल में गहरी उतर गई ।
जिन आँखों ने देखा उनको सहला गई
जिस आँगन से गुजरी उसको महका गई ।
बच्चो के किलकारी से लेकर
बूढ़ों के ठहाके तक पहुँच है मेरी ।
दिल से होठो का राब्ता बनाती हूँ
थके चहरो को शगुफ्ता बनाती हूँ ।
मुस्कान - बस छोटी सी उम्र है मेरी
जब तक मनहूस गुस्से के हत्थे ना चढ़ी ।
~"नीरज"~
~"नीरज"~
bahut khoob likha hai yar...
जवाब देंहटाएंbs aap se sikh rahe hai bhai.. :z
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