शनिवार, 10 नवंबर 2012


गरीबी होश देती है 

अमीरी मदहोश कर देती है 

पैसा जोश देता है 

मुफलिसी जूनून देती है 

दौलत गुरुर देती है 

शोहरत सुरूर देती है 

इसां नशे  में मगरूर रहता है 

बदनाम सा मशहूर  रहता है 

गरीबी  भूख देती है 

मुफ्त में कुछ अनमोल सी सीख देती है !

~ "नीरज " ~


 "पुरसुकून कैफियत "
मुफलिसी से मेरा "राबता" पुराना  हैं 

मेरी झोपडी ही मेरा आसरा -ओ-आसना  हैं 

गरीबी और बदकिस्मती मेरी बहने हैं 

जिन्हें कोई वर मिलता नहीं 

ढूंढ़  रहा हु पर कोई अच्छा  घर मिलता नहीं

कोशिश,प्रयास  और यत्न ही मेरा धन हैं 

और जब तक यह धन हैं कोई नहीं कह सकता की " यह निर्धन है "

एक निर्मल मन है जिसमे ख्वाबो का नशेमन है 

"भूख" और "लाचारी" मेरे दो अनमोल रतन है 

चिपके रहते है सीने से जैसे जन्मो  का बंधन है !

~ "नीरज " ~


रविवार, 16 सितंबर 2012

"घर में मोह्ब्बत रहती है 
महलो में शोहरत  ,
कारो में गुरुर चलते है 
ठेलो पर घर चलते है "
"~नीरज~"