कुछ दिल से
कुछ लम्हे कुछ यादे कुछ बाते कुछ किस्से कुछ नगमे ... दिल से
सोमवार, 29 जुलाई 2013
शनिवार, 10 नवंबर 2012
"पुरसुकून कैफियत "
मुफलिसी से मेरा "राबता" पुराना हैं मेरी झोपडी ही मेरा आसरा -ओ-आसना हैं
गरीबी और बदकिस्मती मेरी बहने हैं
जिन्हें कोई वर मिलता नहीं
ढूंढ़ रहा हु पर कोई अच्छा घर मिलता नहीं
कोशिश,प्रयास और यत्न ही मेरा धन हैं
और जब तक यह धन हैं कोई नहीं कह सकता की " यह निर्धन है "
एक निर्मल मन है जिसमे ख्वाबो का नशेमन है
"भूख" और "लाचारी" मेरे दो अनमोल रतन है
चिपके रहते है सीने से जैसे जन्मो का बंधन है !
~ "नीरज " ~
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